Penalty On Banks: 27 फरवरी 2024 को, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), केनरा बैंक और सिटी यूनियन बैंक पर नियामकीय मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए जुर्माना लगाया है।
एसबीआई (SBI) पर जमाकर्ता शिक्षा जागरूकता कोष योजना, 2014 के कुछ मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। केनरा बैंक पर कुछ निर्देशों का पालन नहीं करने के मामले में 32.30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। सिटी यूनियन बैंक पर आय पहचान, संपत्ति वर्गीकरण और कर्ज से संबंधित प्रावधान, फंसे कर्ज (एनपीए) को लेकर प्रावधान तथा अपने ग्राहक को जानों (KYC) से जुड़े आरबीआई के कुछ निर्देशों का पालन न करने को लेकर 66 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
आरबीआई ने यह भी कहा है कि यह जुर्माना नियामकीय अनुपालन में कमियों को लेकर है और इसका बैंक ग्राहकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह आरबीआई द्वारा बैंकों पर की गई हालिया कार्रवाईयों में से एक है। इससे पहले, 31 जनवरी 2024 को, आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन के चलते डिपॉजिट लेने पर रोक लगा दी थी।
उल्लंघनों को समझना:
दुर्भाग्य से, नियामकीय उल्लंघनों का विशिष्ट विवरण सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं किया गया है। हालांकि, उल्लिखित व्यापक श्रेणियां, जैसे “जमाकर्ता जागरूकता योजनाएं” और “केवाईसी मानदंड,” कुछ अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। ये क्षेत्र ग्राहक संरक्षण और वित्तीय अपराधों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन क्षेत्रों में भले ही अनजाने में उल्लंघन होने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
ग्राहकों पर प्रभाव:
इस घटना के कारण आरबीआई द्वारा सभी बैंकों की कड़ी जांच हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप, भविष्य में बैंकों के लिए कड़े विनियमन और सख्त अनुपालन आवश्यकताओं का पालन करना पड़ सकता है। हालांकि यह बैंकों पर अतिरिक्त बोझ की तरह लग सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य समग्र वित्तीय प्रणाली को मजबूत करना और ग्राहकों के लिए जोखिम कम करना है।
भविष्य में दंड से बचने के लिए बैंक अपने आंतरिक अनुपालन तंत्र को मजबूत करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इससे बेहतर ग्राहक सेवा और संचार हो सकता है क्योंकि बैंक उन विनियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करते हैं जो सीधे ग्राहक बातचीत को प्रभावित करते हैं, जैसे केवाईसी प्रक्रियाएं।