बिहार की राजनीति में इन दिनों काफी उथल-पुथल मची हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच गठबंधन टूटने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इस बीच, कई छोटे दलों ने भी अलग-अलग मोर्चे बनाना शुरू कर दिया है।
इन सभी उथल-पुथल के बीच एक स्पष्ट रुझान सामने आ रहा है। वह यह है कि बिहार की राजनीति में एक नई ताकत उभर रही है। वह ताकत है युवाओं की।
बिहार में युवाओं की आबादी काफी बड़ी है। 2021 की जनगणना के अनुसार, बिहार की कुल आबादी में 36.2% युवा हैं। इन युवाओं में राजनीतिक चेतना बढ़ रही है। वे बदलाव चाहते हैं। वे चाहते हैं कि बिहार में एक नई सरकार आए, जो उनकी समस्याओं को हल करे।
इस रुझान को कई घटनाओं से बल मिलता है। उदाहरण के लिए, हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कई युवा उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इनमें से कुछ उम्मीदवार तो 20 से 25 वर्ष की आयु के हैं।
इसके अलावा, बिहार में पिछले कुछ वर्षों से कई युवा आंदोलनों ने जन्म लिया है। इनमें से कुछ आंदोलन किसानों के मुद्दों, पर्यावरण के मुद्दों और सामाजिक न्याय के मुद्दों से जुड़े हुए हैं। इन आंदोलन से यह साफ हो जाता है कि बिहार के युवा राजनीति में सक्रिय होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। वे बदलाव चाहते हैं।
अगर बिहार में एक नई सरकार बनती है, तो यह सरकार युवाओं की मांगों को पूरा करने की कोशिश करेगी। यह सरकार बिहार को एक विकसित राज्य बनाने के लिए काम करेगी।
यह भी संभावना है कि बिहार में एक युवा नेता मुख्यमंत्री बन सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह बिहार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना होगी। यह बिहार में एक नई राजनीतिक युग कीशुरुआत होगी।