संविधान में संशोधन करना कोई नयी बात नहीं है क्योंकि ऐसे संशोधन कई बार किये जा चुके हैं और हर साल होते ही हैं। लेकिन क्या आप जानते हो की, संविधान में संशोधन करने के क्या नियम हैं और अनंत हेगडे ने ऐसा क्या बयान दिया हैं जिससे वह चर्चा के विषय बन गये है? तो आईये विस्तार से जानते हैं।
1952 में हुआ था पहला संशोधन
ऐसा नहीं है की, संविधान में संशोधन या बदलाव आजतक नहीं किये गये हैं। संविधान में सबसे पहला संशोधन 1952 में हुआ था और यह सिलसिला आजतक चलता ही जा रहा है।
संविधान में 42 वा संशोधन तो सबसे ज्यादा विवादो में और चर्चा में रहा है जो इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकाने सन 1976 में पारित किया था। जिस संशोधन में एक दो नहीं बल्की कुल 40 अनुच्छेद तक बदल दिये गये थे। जिसे “42 वा संशोधन अधिनियम” या “संविधान अधिनियम 1976” के नाम से भी जाना जाता हैं।
क्या संविधान में बदलाव करना संभव हैं?
जी बिलकुल, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में यह प्रावधान हैं की, संसद के दोनो सदनो में दो तीहाई ⅔ बहुमत हो तो राष्ट्रपती की अनुमती लेकर संविधान में बदलाव या संशोधन किया जा सकता है। आजतक भारतीय संविधान में कुल 127 संशोधन किये जा चुके हैं। और तो और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इन 10 सालो में संविधान में कुल 8 बडे बदलाव किये है
क्या है अनंत हेगडे का बडा बयान?
BJP सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत हेगडे ने यह बयान किया है की, हमें संविधान में संशोधन के लिये दो तिहाई बहुमत चाहिए क्योंकी राज्यसभा में हमें पर्याप्त बहुमत नहीं है।
इसीलिये हमें संविधान बदलने के लिये दो-तीहाई बहुमत देना होगा और उन्होंने आहे यह कहा की,अबकी बात 400 पार सिटे आयेगी जिससे हम काँग्रेस द्वारा किये गये विकृतिया हटाकर संविधान में संशोधन करेंगे और साथ साथ यह भी कहा की, 20 से ज्यादा राज्य में हमें सत्ता में आना होगा। उनके इस बयान से राजनीती में गरमा गरमी छाई हुयी है।