सीएए को लेकर विपक्षी दल लगातार आपत्ति जता रहे हैं। कई राज्य सरकारों ने कहा है कि वो अपने यहां इस कानून को लागू नहीं होने देंगे। हालांकि इस सबके बीच गृह मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि सीएए को लेकर भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे उनकी नागरिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।
गृह मंत्रालय का क्या कहना है?
गृह मंत्रालय ने कहा कि CAA का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि उनके पास भी उतने ही अधिकार हैं जितने देश में रहने वाले किसी हिंदू नागरिक के पास है।
गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी भारतीय नागरिक से नागरिकता प्रूफ करने के लिए कोई डॉक्यूमेंट नहीं मांगा जाएगा। गृह मंत्रालय ने यह भी बताया कि CAA का अवैध धुसपैठियों के डिपोर्टेशन से कोई लेना देना नहीं है और लोगों के एक वर्ग की यह चिंता कि यह मुसलमानों के खिलाफ है, यह अनुचित है।
कही खुशी तो कही पर लड़ाई
दिल्ली में, CAA लागू किए जाने पर हिंदू-सिख शरणार्थियों में खुशी की लहर है। करीब तीन दशक पहले युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से भाग कर भारत में शरण लेने वाले प्यारा सिंह CAA लागू किये जाने पर काफी खुश हैं।
दिल्ली बीजेपी ने मंगलवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें अफगानिस्तान से भारत आए सिख शरणार्थियों और पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों ने ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए, मिलकर पटाखे जलाए और ढोलों की थाप पर नाचते हुए होली खेली। प्यारा सिंह भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
यह स्पष्ट है कि सीएए को लेकर देश में दो अलग-अलग राय हैं। विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं, जबकि कई लोग इसका समर्थन कर रहे हैं। अब बस यह देखना बाकी है कि यह कानून देश के भविष्य के लिए क्या परिणाम लाता है।