बॉलीवुड के लोकप्रिय विलेन अजीत खान, जिन्होंने “शोले“, “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” और “करण अर्जुन” जैसी फिल्मों में अपने नकारात्मक किरदारों के लिए ख्याति प्राप्त की, उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है। मुंबई आने के लिए उन्हें अपनी कॉलेज की किताबें बेचनी पड़ीं और यहां तक कि बड़े शहर में गटर में रातें भी बितानी पड़ीं।
मुंबई का सपना:
हैदराबाद में जन्मे अजीत खान हमेशा से ही अभिनेता बनना चाहते थे। 1970 के दशक में, उन्होंने मुंबई का सपना देखा और इसे पूरा करने के लिए अपना घर छोड़ दिया। उनके पास बहुत कम पैसे थे और उन्हें अपना खर्च चलाने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
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संघर्षों से भरा जीवन:
मुंबई में, अजीत को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें शुरुआत में अभिनय के अवसर नहीं मिले और उन्हें जीविकोपार्जन के लिए अन्य काम करने पड़े। उन्होंने एक टैक्सी ड्राइवर, एक वेटर और यहां तक कि एक सेल्समैन के रूप में भी काम किया।
गटर में रातें:
एक समय ऐसा भी था जब अजीत के पास रहने के लिए जगह नहीं थी और उन्हें गटर में रातें बितानी पड़ीं। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया कि कैसे उन्हें मोहम्मद अली रोड के पास एक गटर में सोना पड़ा था।
सफलता की राह:
कई वर्षों के संघर्ष के बाद, अजीत को आखिरकार 1980 के दशक में फिल्मों में काम मिलना शुरू हो गया। उन्होंने “शोले”, “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” और “करण अर्जुन” जैसी फिल्मों में अपने दमदार किरदारों से दर्शकों का दिल जीत लिया।
प्रेरणादायक कहानी:
अजीत खान की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने साबित किया कि कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। भले ही रास्ते में कितनी भी चुनौतियां आएं, हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि सफलता उन्हीं को मिलती है जो निरंतर प्रयास करते रहते हैं।