जानवरों के पूरे शरीर से ही उनकी विशेषता प्रकट होती है। लेकिन एक चीज जो बच्चों को और बहुत से लोगों को हैरान करती है, वह है उनकी पूंछ। कुत्ते की पूंछ अक्सर उसकी मित्रता का प्रतीक मानी जाती है, जबकि बंदर इसे पेड़ पर लटकने के लिए इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, इसके अलावा इसका अन्य उपयोग क्या है, यह बात समझना मुश्किल होता है। इसके अतिरिक्त, इंसानों में पूंछ का अभाव होने के कारण जानवरों में इसका होना अजीब लगता है। इसलिए, आखिर जानवरों में पूंछ का होना क्यों होता है, इसके बारे में विज्ञान क्या कहता है, यह जानने के लिए हमें विशेष रुचि है।
![जाने- आखिर क्यूँ होता है जानवरों का पूंछ](http://www.subhashyadav.org/wp-content/uploads/2024/02/आखिर-क्यूँ-होता-है-जानवरों-का-पूंछ-300x169.jpg)
आखिर क्यूँ होता है जानवरों का पूंछ
करोड़ों सालों से जानवरों में पूंछ की मौजूदगी है।
वैज्ञानिकों ने जीवाश्म के अध्ययनों में पाया है कि जानवरों के पूंछ करोड़ों साल पहले भी होती थी। उस समय, शुरुआती मछलियों में मीनपंखनुमा पूंछ होती थी जो उन्हें तैरने में मदद करती और शिकारी जानवरों से बचाने में सहायक भी होती। जैसे-जैसे जीवों का विकास क्रम आगे बढ़ा, जमीन के जानवरों में भी पूंछ में बदलाव देखने को मिलने लगा।
हर तरह से है लाभदायक उनके पूंछ
जानवरों में चाहे वह सरीसृप हों, कीड़े, पक्षी या फिर स्तनपायी जानवर हों, उन सभी के पूंछ के कई उद्देश्य होते हैं। आज के जानवर अपने पूंछ का उपयोग संतुलन बनाए रखने, संचार करने और अपने साथी को खोजने में करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि डायरोसर तक पूंछ का उपयोग स्वयं का संतुलन बनाए रखने के लिए करते थे और जानवरों में इसका यही सबसे व्यापक उपयोग है।
संतुलन में भी उपयोग
वैज्ञानिकों के मुताबिक, डायनासोर और उनके समान पशुओं ने संतुलन बनाए रखने के लिए अपनी पूंछ का उपयोग किया करते थे। उनका सिर और शरीर भारी होता था और इसलिए वे दो पैरों पर चलते थे। इस पूंछ की मदद से उन्हें तेज दौड़ते हुए अपना शिकार पकड़ने में आसानी होती थी। आज के कंगारू भी अपनी पूंछ का उपयोग संतुलन बनाए रखने के लिए करते हैं। जब वे हवा में रहते हैं, तो उनकी पूंछ तीसरे पैर का काम करती है, जो उन्हें संतुलन और स्थिरता प्रदान करती है।
बिल्ली और बंदर के लिए उपयोगी
पूंछ का संतुलन में उपयोग का बिल्लियां भी बेहतरीन उदाहरण हैं। उनकी पूंछें उनके लिए वैसा ही महत्वपूर्ण होती हैं जैसे कि रस्सी पर चलने वालों के लिए बांस। ये छोटी-मोटी पन्नी और कमरे में फिसले हुए जगहों में भी आसानी से पहुंचने में मदद करती हैं। दूसरी ओर, बंदरों को भी पूंछ का ज्यादा उपयोग करते हुए देखा गया है। वे एक डाल से दूसरी डाल पर जाने के लिए पूंछ का इस्तेमाल करते हैं, इससे उनके लिए यह काफी सहायक सिद्ध होता है। कई बंदर अपनी पूंछ को अपने हाथ की तरह ही इस्तेमाल करते हैं, जिससे वे अपने आस-पास के चीजों को आसानी से पकड़ सकें। वे अक्सर फल और पत्तियाँ भी पकड़कर खा लेते हैं।
जानवर अपनी पूछ का इस्तेमाल अपनी रक्षा करने के लिए भी करते हैं जैसे ही यदि उनके शरीर में कोई कीड़ा बैठ जाता है या उनके अंदर घुसने की कोशिश करता है तो अपनी पूछ की मदद से वह उसे कीड़े को भाग सकता है
कुछ परिस्थितियों में जानवर अपने साथी को आकर्षित करने के लिए भी इसका प्रयोग करती है यदि किसी जानवर को अपने साथी की आवश्यकता हो तो वह अपने पूछ की मदद से अपने साथी को इशारा करती है जिसकी मदद से उनके साथ ही उनकी बातों को समझ पाते हैं