किसानों के 13 फरवरी को होने जा रहे प्रदर्शन को अब आम आदमी पार्टी का समर्थन मिल गया है. आप पार्टी ने दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों का विरोध भी किया है. पार्टी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वे किसानों के साथ सकारात्मक बात कर उनकी समस्याओं का हल करें.
आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा कि कभी ब्रिटिश हुकूमत ने स्वतंत्रता सेनानियों की आजादी की मांग को कुचलने के लिए सारी हदें पार कर दी थी. आज केंद्र व हरियाणा की भाजपा सरकार किसानों को कुचलने के लिए सड़कों पर कीलें ठोंक कर और दीवारें चुनवा कर क्रूरता की सारी हदें पार कर रही है. बीजेपी सरकार ये कीलें जमीन पर नहीं ठोक रही है, बल्कि किसानों के सीने में ठोकने का काम कर रही है, जिसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा. हरियाणा के गांवों में पुलिस भेजकर किसानों को धमकी दी जा रही है कि आंदोलन में जो जाएगा, उसका पासपोर्ट, बैंक खाता, प्रॉपर्टी के कागज जब्त कर लिए जाएंगे.
उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि तीन काले कानूनों के खिलाफ जब किसान एक साल तक बॉर्डर पर डटे रहे, तब प्रधानमंत्री ने तीनों काले कानून वापस लेते हुए MSP की गारंटी देने का वादा किया था. संसद के आखरी सत्र की समाप्ति हो चुकी है और किसान इंतजार कर रहे हैं कि MSP की गारंटी का कानून आएगा या नहीं.
आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने सोमवार को किसानों के मुद्दे पर पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश कहा जाता है. भारत के किसान तपती धूप, कड़कड़ाती ठंड और बारिश में अपना खून पसीना बहाकर अनाज पैदा करते हैं और गांव के पटवारी से लेकर प्रधानमंत्री तक का पेट भरने का काम करते हैं.
उन्होंने कहा कि किसान देश के हर बच्चे, बूढ़े, जवान, महिला, पुरुष और जाति-धर्म, क्षेत्र भाषा और प्रांत के लोगों का पेट भरने का काम करते है. 13 फरवरी को अपनी मांगों को लेकर किसानों ने दिल्ली मार्च का ऐलान किया है. इसे रोकने के लिए केंद्र में बैठी भाजपा सरकार के निर्देश पर हरियाणा की भाजपा सरकार अंग्रेजों से भी ज्यादा क्रूर तरीके से तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए किसानों को रोकने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है,जो गुलामी के दौर की याद दिला रही है.
गोपाल राय ने हरियाणा बॉर्डर पर किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए दीवार खड़ी करने और सड़क पर कीलें बिछाने का वीडियो भी दिखाया. उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, डॉक्टर आंबेडकर समेत कई स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन पर आधारित बनी फिल्मों में इस तरह के दृश्य देखे जाते हैं. उन फिल्मों को देखकर पता चलता है कि ब्रिटिश हुकूमत किस क्रूरता के साथ देश के लोगों को गुलाम बनाए रखने और आजादी की मांग को कुचलने के लिए सभी हदों को पार कर देती थी.
उन्होंने भाजपा के 400 पार नारे पर तंज कसते हुए कहा कि अगर बीजेपी ये सोचती है कि वो लोकसभा चुनाव में 400 के पर आने जा रही है, इसलिए किसानों के दिलों पर कील ठोक देंगे, तो आज इससे दर्दनाक और दुर्भाग्यपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता है. यह दृश्य देखकर कलेजे में बहुत पीड़ा हो रही है. क्या पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के किसान भारत के किसान नहीं है और उनकी राजधानी दिल्ली नहीं है. आखिर भाजपा की सरकारों के सामने कौन सी मजबूरी है कि वो किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए सारी हदों को पार कर रही है।
गोपाल राय ने आगे कहा कि पिछली बार जब किसानों ने तीनों काले कानून के खिलाफ दिल्ली कूच किया था, तब उन्हें बॉर्डर पर रोक दिया गया था. एक साल से ज्यादा आंदोलन चला था। सड़कों पर किसान सर्दियों में ठिठुरे, गर्मियों को झेले और बरसात की बौछारें बर्दाश्त की, लेकिन वो हिले नहीं और केंद्र सरकार को झुकना पड़ा था. प्रधानमंत्री ने माफी मांगते हुए उन तीनों काले कानून को वापस लिया था और वादा किया था कि किसानों को एमएसपी की गारंटी की जाएगी. उस वादे को लंबा समय हो चुका है। संसद के आखिरी सत्र की समाप्ति हो गई, अंतरिम बजट पास हो चुका है, प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार में निकल चुके हैं और किसान अभी भी टकटकी लगाए देख रहे हैं कि एमएसपी की गारंटी का कानून आएगा या नहीं आएगा.