जिस टीम के हेड कोच राहुल द्रविड़ हों और कप्तान रोहित शर्मा और टीम में विराट कोहली जैसा सुपर स्टार खिलाड़ी तो शायद ही किसी की नज़रें पारस महाम्ब्रे और टी दिलीप जैसे सहायक कोचों पर जाएगी.
ये दोनों लोग टीम इंडिया के लिए गेंदबाज़ी और फील्डिंग कोच की भूमिका निभा रहे हैं.
बल्लेबाज़ी कोच विक्रम राठौड़ भले ही द्रविड़ की तरह हाई प्रोफाइल नहीं है लेकिन अपने दूसरे साथियों की तरह एकदम से गुमनाम भी नहीं हैं. इत्तेफ़ाक़ से राठौड़ ने रवि शास्त्री के दौर से ही टीम इंडिया की कोचिंग के सफर की शुरुआत की थी.
फिलहाल हम बात करेंगे महाम्ब्रे और दिलीप की जो कई मायनों में बेहद समान हैं तो कई मामलों में बिल्कुल अलग. लेकिन एक बात है जो इन दोनों को जोड़ती है और वो बात ये है कि भारतीय क्रिकेट में दोनों बदलते हुए नज़रिए की गवाह हैं.
दिलीप हैं खिलाड़ियों के चहेते
टीम के सुपर तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह हों या फिर मोहम्मद शमी दोनों ही महाम्ब्रे के कायल हैं.
दिलीप जिनके पास ना तो फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने का अनुभव है और न ही महाम्ब्रे की ही तरह आईपीएल में एक लंबा कोचिंग अनुभव है. इसके बावजूद इसके सीनियर से लेकर जूनियर तक फील्डिंग कोच के मुरीद हैं. 2023 वनडे वर्ल्ड कप के दौरान दिलीप पहली बार सुर्खियों में आए जब उनके अनोखे अंदाज़ ने हर किसी का दिल जीता.
दरअसल, टीम इंडिया के ड्रेसिंग रुम में हर मैच के बाद सबसे बेहतरीन फील्डर को सम्मानित किया जाता था. ये सोशल मीडिया में खूब वायरल भी हुआ और हर किसी ने बीसीसीआई की सोशल मीडिया टीम की क्रिएटिविटी की तारीफ़ भी की. लेकिन दिलीप ख़ास-तौर पर प्रेरणा के स्रोत हैं क्योंकि आप में या हम में से कोई भी फील्डिंग कोच बनने का सपना देख सकता है.
दिलीप ने जूनियर लेवल से लेकर नेशनल क्रिकेट एकेडमी तक के सफर को उसी अंदाज़ में जिया है जैसा की आज वो टीम इंडिया के साथ जी रहे हैं. अगर रविंद्र जडेजा जैसे दबंग फील्डर भी दिलीप के फैन हैं. ऐसे में कुछ ख़ास कमाल तो ये कोच पर्दे के पीछे से लगातार कर ही रहा है. कप्तान रोहित शर्मा के साथ भी फील्डिंग कोच का समीकरण बेहद संजीदा है.शायद इसकी वजह ये भी है कि करियर के शुरुआत में डेक्कन चार्जर्स का ये दोनों हिस्सा थे.