आज के समय में लोन लेना एक आम बात हो चुकी है। आज हर कोई पर्सनल लोन या फिर होम लोन लेता है। ऐसे में जब एक बार आप बैंक के द्वारा कोई लोन ले लेते हैं तो उसकी अवधि पूरी होने तक उसकी EMI भरना आपकी जिम्मेदारी होती है, लेकिन कई बार हम किसी कारणवश EMI नहीं चुका पाते हैं और ऐसे में हमारे ऊपर पेनल्टी लगाई जाती है और इसके कई अलग परिणाम भी होते हैं।
लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी चीज बताने जा रहे हैं, जिसके तहत आप लोन नहीं भर पाने की स्थति में अपने अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं। आज हम आपको CLXNS (कलेक्शंस) के एमडी एवं सीईओ मानवजीत सिंह के अनुसार बताए गए कुछ आपके अधिकारों को बताने जा रहे हैं जो की, आपका लोन लेने के बाद नही चूका पाने पर आपको दिए जाते है।
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डिफाल्टर होने की स्थति में आपके अधिकार
यदि आप लोन लेते समय डिफाल्टर हो जाते हैं तो, आपके भी कुछ अधिकार होते हैं, जेसे –
आपको अपनी बात रखने का अधिकार
लोन लिफाफॉल्टर के रूप में आपको अपनी बात रखने का भी पूरा अधिकार होता है। यदि आप लोन चुकाने में असफल होते हैं तो, तब आप ससबे पहले बैंक से प्राप्त नोटिस मिलने का अधिकार भी रखते है। इसके साथ ही आप अधिकारियों के समक्ष रिपजेशन नोटिस पर किसी भी आपत्ति के साथ रिप्रेजेंटेशन दे सकते हैं, जहां पर आप अपनी बात रख अपनी समस्याएं बता सकते है।
कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का अधिकार –
इसी के साथ लोन वसूली के समय भी कुछ शर्तों का अधिकार होता है, जिसके तहत बैंकों को वसूली कार्य की आउटसोर्सिंग करते समय आचार संहिता का पालन करना होता है। इसके लिए एक प्रशिक्षित एजेंट की नियुक्ति भी आपके लिए करना होती है जो कि, आपका कॉल करने के समय को ध्यान में रखे और आपकी जानकारी को गोपनीय रखता है। इसके साथ रिकवरी का समय और स्थान भी पहले से तय किया जा सकता है।
सभ्य नागरिकों जैसा व्यवहार पाने का अधिकार-
इसके साथ आपका यह भी अधिकार है की, कर्जदाता के साथ सभ्यता पूर्वक व्यवहार किया जाए। कानून में यह अधिकार है कि, आपके खिलाफ किसी तरह की शारीरिक हिंसा या फिर मानसिक हिंसा न हो। साथ ही आपके साथ वसूली एजेंट का विवरण भी शेयर करना बैंक की जिम्मेदारी होती है और वह आपकी प्राइवेसी का सम्मान भी करें यह भी आपका अधिकार होता है।
सम्प्पति का उचित मूल्य लेने का अधिकार–
यदि आप डिफाल्टर हो चुके हैं और आपकी संपत्ति को नीलाम कि जा रही है, उस समय आपको बैंक द्वारा एक नोटिस प्राप्त होना चाहिए, जिसमें आपकी संपत्ति की उचित नीलामी का समय तारीख और उसका उचित मूल्य निर्धारण होना चाहिए। यदि उचित मूल्य निर्धारण नहीं है, तो आपको इस पर आपत्ति करने का भी अधिकार है।
आय संतुलन का अधिकार-
बेंक द्वारा आपकी जब्त संपत्ति की बिक्री के बाद बरामद धन से कोई अतिरिक्त राशि प्राप्त होती है, तो लोन देने वाले संस्थानों को इसे भी लौटाना होगा, इस राशी को प्राप्त करने का अधिकार आपका होता है। चूंकि संपत्ति या परिसंपत्ति का मूल्य किसी भी समय बढ़ सकता है, इसलिए इसका मूल्य उस राशि से अधिक हो सकता है, इसके साथ ही नीलामी प्रक्रिया की निगरानी करना भी आपके अधिकार में आता है।