कड़ाके की सर्दी के बीच बिहार में सियासी तापमान चढ़ा हुआ है. दरअसल, सूबे में मंत्रियों के विभागों में फेरबदल कर दिया गया है. शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर को शिक्षा विभाग से हटाया गया है और उन्हें गन्ना विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उनकी जगह पर बिहार के शिक्षा मंत्री आलोक कुमार मेहता बनाए गए हैं. उनसे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ले लिया गया है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की जिम्मेदारी ललित कुमार यादव को दी गई है. दिलचस्प बात ये है कि जिन विभागों के मंत्रियों की अदला-बदली की गई है वे सभी आरजेडी कोटे के हैं.
नीतीश कुमार की कैबिनेट में हुए फेरबदल को लेकर सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है. अभी हाल ही में नीतीश कुमार से मिलने आरजेडी चीफ लालू यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पहुंचे थे, जिसके ठीक एक दिन बाद कैबिनेट में फेरबदल किया गया है. इस फेरबदल में सबसे ज्यादा चर्चा शिक्षा मंत्री रहे प्रोफेसर चंद्रशेखर की है, जो अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. यही नहीं, उनकी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक से भी ठनी हुई थी. कहा जाता है कि के के पाठक नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक हैं.
अपर मुख्य सचिव के के पाठक और मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के बीच लड़ाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल मंत्री चंद्रशेखर ने करीब महीने तक शिक्षा विभाग के दरवाजे पर दस्तक तक नहीं दी थी. दोनों के बीच तनातनी चलती रही और डैमेज कंट्रोल करने के लिए लालू यादव ने नीतीश से बात की थी, जिसके बाद कुछ दिनों शांति रही, लेकिन बाद में यानी इस महीने फिर विवाद का ज्वालामुखी फूट गया. के के पाठ के कुछ आदेशों पर मंत्री चंद्रशेखर ने सवाल खड़े कर दिए, जिसके बाद वे लंबी छुट्टी पर चले गए. बताया गया है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उनके गुस्से को शांत कराया, जिसके बाद वे छुट्टी से वापस लौटे. इसके अगले ही दिन प्रोफेसर चंद्रशेखर से शिक्षा विभाग वापस ले लिया गया.
‘रामचरितमानस में पोटेशियम साइनाइड’
प्रोफेसर चंद्रशेखर ने शिक्षा मंत्री रहते हुए राम मंदिर और रामचरितमानस को लेकर भी विवादित बयान दिए हैं. पिछले साल उन्होंने हिंदी दिवस के दिन बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी में कार्यक्रम को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि रामचरितमानस में पोटेशियम साइनाइड है, जब तक यह रहेगा तब तक इसका विरोध करते रहेंगे. मंत्री ने रामचरितमानस के अरण्य कांड की चौपाई पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा का जिक्र था और कहा था कि यह क्या है? क्या इसमें जाति को लेकर गलत बात नहीं कही गई है? क्या गुणहीन विप्र पूजनीय है और गुणयुक्त शूद्र वेद का जानकार होने पर भी पूजनीय नहीं है.
‘रामचरितमानस और मनुस्मृति समाज को बांटने वाली’
पिछले साल जनवरी में मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस और मनुस्मृति समाज को बांटने वाली और नफरत फैलाने वाली किताबें बता दिया था, जिसके बाद अयोध्या के तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने मंत्री की जीभ काट कर लाने वाले को दस करोड़ रुपए के इनाम देने की घोषणा कर दी थी. साथ ही साथ मंत्री को बर्खास्त करने की मांग उठाई थी. वहीं, इस महीने की शुरुआत में अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मंदिर को लेकर भी उन्होंने टिप्पणी की थी. मंत्री चंद्रशेखर ने सावित्री बाई फुले जयंती समारोह में कहा था कि मंदिर का रास्ता मानसिक गुलामी का रास्ता है. स्कूल का रास्ता प्रकाश का रास्ता है. उनकी इस विवादित टिप्पणी पर जेडीयू ने भी सवाल खड़े कर दिए थे.